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The Art of Being Alone

Author: Renuka Gavrani

हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ कोई भी व्यक्ति या वस्तु हमारे साथ हमेशा नहीं रह सकती। हमने अपने आसपास इतना अति-लाभकारी वातावरण बना लिया है जिसमें, उदाहरण के लिए, आपके मित्रों को बेहतर काम की तलाश में दूसरे शहर जाना या फिर आपको पढ़ाई के लिए अपने परिवार से दूर होना पड़ सकता है। इस तरह के लगातार बदलते हुए परिवेश में आपको यह तथ्य समझने की जरूरत है : अकेले होने का मतलब अकेलापन नहीं होता; इसका अर्थ सिर्फ यह है कि आप अपने साथ हैं ! द आर्ट ऑफ़ बीइंग अलोन पुस्तक आपको सिखाएगी कि आप किस तरह अपने अकेलेपन को ‘एकांत’ में रूपांतरित कर सकते हैं, आनंदपूर्वक अकेले रहने की कला में पारंगत हो सकते हैं, और इसके परिणामस्वरूप, कैसे अपने ‘वर्तमान जीवन’ को ‘आदर्श जीवन’ में बदल सकते हैं। इस किताब से आप जानेंगे कि : • आप कैसे अपने वास्तविक स्वरूप में रहकर उसका और विकास कर सकते हैं जिससे आपका अकेलापन, एकांत में बदल जाएगा • आप कैसे अकेलेपन के मूल कारण को दूर करके अकेलेपन के डर से छुटकारा पा सकते हैं • आप अपने वास्तविक स्वरूप का महत्त्व समझ कर कैसे स्वयं से प्रेम कर सकते हैं • आप कैसे एकांत की आदत डालकर उसे अपने विकास-काल में बदल सकते हैं यह किताब आपको यह एहसास करवाएगी कि आपका सच्चा और असली मार्गदर्शक आप स्वयं है, और यह भी कि आपका दिल जानता है क्या करना है और आपके दिमाग को पता है कि उसे ‘कैसे’ करना है। यह किताब आपको ऐसे इंसान में बदल देगी जिसके साथ आपको अकेले रहने की इच्छा होने लगेगी।.

Language: Hindi

Publisher: Manjul Publishing House

Year of Publication: 2024

Binding Type: PAPERBACK

Number of Pages: 108

MRP: 250 INR

Your Price: 225.00

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The Art of Being Alone

SKU 9789355435187 Categories , Brand:

हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ कोई भी व्यक्ति या वस्तु हमारे साथ हमेशा नहीं रह सकती। हमने अपने आसपास इतना अति-लाभकारी वातावरण बना लिया है जिसमें, उदाहरण के लिए, आपके मित्रों को बेहतर काम की तलाश में दूसरे शहर जाना या फिर आपको पढ़ाई के लिए अपने परिवार से दूर होना पड़ सकता है। इस तरह के लगातार बदलते हुए परिवेश में आपको यह तथ्य समझने की जरूरत है : अकेले होने का मतलब अकेलापन नहीं होता; इसका अर्थ सिर्फ यह है कि आप अपने साथ हैं ! द आर्ट ऑफ़ बीइंग अलोन पुस्तक आपको सिखाएगी कि आप किस तरह अपने अकेलेपन को ‘एकांत’ में रूपांतरित कर सकते हैं, आनंदपूर्वक अकेले रहने की कला में पारंगत हो सकते हैं, और इसके परिणामस्वरूप, कैसे अपने ‘वर्तमान जीवन’ को ‘आदर्श जीवन’ में बदल सकते हैं। इस किताब से आप जानेंगे कि : • आप कैसे अपने वास्तविक स्वरूप में रहकर उसका और विकास कर सकते हैं जिससे आपका अकेलापन, एकांत में बदल जाएगा • आप कैसे अकेलेपन के मूल कारण को दूर करके अकेलेपन के डर से छुटकारा पा सकते हैं • आप अपने वास्तविक स्वरूप का महत्त्व समझ कर कैसे स्वयं से प्रेम कर सकते हैं • आप कैसे एकांत की आदत डालकर उसे अपने विकास-काल में बदल सकते हैं यह किताब आपको यह एहसास करवाएगी कि आपका सच्चा और असली मार्गदर्शक आप स्वयं है, और यह भी कि आपका दिल जानता है क्या करना है और आपके दिमाग को पता है कि उसे ‘कैसे’ करना है। यह किताब आपको ऐसे इंसान में बदल देगी जिसके साथ आपको अकेले रहने की इच्छा होने लगेगी।

Weight0.5 kg
Dimensions8 × 1 × 10 cm

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